NEET UG Category Wise Cut Off 2025: देश भर के लाखों मेडिकल अभ्यर्थी नीट यूजी 2025 के परिणाम और कट ऑफ अंकों की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मेडिकल और डेंटल सीटों के लिए इस बार भी तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है और सरकारी कॉलेजों में प्रवेश के लिए श्रेणीवार कट ऑफ एक बार फिर से चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। इस वर्ष की परीक्षा का प्रश्नपत्र पिछले वर्षों की तुलना में अधिक कठिन माना गया है जिसके कारण विशेषज्ञों का अनुमान है कि कुछ श्रेणियों में कट ऑफ रेंज में गिरावट देखी जा सकती है।
परीक्षा की बढ़ी हुई कठिनाई के कारण छात्रों के प्रदर्शन में भिन्नता आई है और इसका सीधा प्रभाव कट ऑफ अंकों पर पड़ने की संभावना है। विशेषकर जीव विज्ञान सेक्शन में कुछ प्रश्न जटिल और चुनौतीपूर्ण थे जिससे कई मेधावी छात्रों का भी प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। यह स्थिति उन छात्रों के लिए एक राहत की बात हो सकती है जो अपने प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं।
इस वर्ष के प्रश्नपत्र की कठिनाई का विश्लेषण
नीट यूजी 2025 की परीक्षा में विशेषज्ञों और छात्रों दोनों ने प्रश्नपत्र की कठिनाई स्तर को पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बताया है। भौतिकी सेक्शन में गणना आधारित प्रश्न अधिक जटिल थे जबकि रसायन विज्ञान में कुछ प्रश्न नवीन पैटर्न के थे। सबसे अधिक चुनौती जीव विज्ञान सेक्शन में देखी गई जहां कुछ प्रश्न गहन समझ और विस्तृत ज्ञान की मांग कर रहे थे। यह कठिनाई स्तर इस बार के कट ऑफ अंकों को 10 से 15 अंक तक नीचे ला सकता है।
इस परिवर्तन का सबसे बड़ा फायदा उन छात्रों को होगा जिन्होंने मध्यम स्तर का प्रदर्शन किया है। पिछले वर्षों में जो छात्र कट ऑफ के बॉर्डरलाइन पर थे, उन्हें इस बार बेहतर अवसर मिल सकते हैं। हालांकि यह भी सच है कि टॉप स्कोरर्स के लिए प्रतिस्पर्धा अभी भी उतनी ही तीव्र रहेगी क्योंकि प्रीमियम सरकारी कॉलेजों के लिए अभी भी बहुत अधिक अंकों की आवश्यकता होगी।
श्रेणीवार अपेक्षित कट ऑफ अंक
सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए इस वर्ष का कट ऑफ 720 से 162 अंकों के बीच हो सकता है। यह एक व्यापक रेंज है क्योंकि विभिन्न कॉलेजों और कोर्सों के लिए अलग-अलग कट ऑफ होती है। टॉप मेडिकल कॉलेजों के लिए अभी भी 700 से अधिक अंक चाहिए होंगे जबकि कम रैंकिंग वाले सरकारी कॉलेजों के लिए 160 से 200 अंक भी पर्याप्त हो सकते हैं।
शारीरिक रूप से विकलांग सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए कट ऑफ 161 से 144 अंकों के बीच हो सकता है। अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए कट ऑफ 161 से 127 अंकों के बीच रह सकता है। आरक्षित श्रेणी के विकलांग छात्रों के लिए यह और भी कम यानी 143 से 127 अंकों के बीच हो सकता है। यह डेटा पिछले वर्षों के रुझान और इस वर्ष की परीक्षा की कठिनाई को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
सरकारी कॉलेजों में प्रवेश के लिए सुरक्षित अंक
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीट पाने के लिए सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को लगभग 600 से 640 अंक लाने होंगे। यह स्कोर उन्हें किसी न किसी सरकारी कॉलेज में सीट दिलाने में सक्षम होगा। हालांकि प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे एम्स या जिपमर के लिए इससे भी अधिक अंक चाहिए होंगे। शारीरिक रूप से विकलांग सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए 580 से 630 अंक सुरक्षित माने जा सकते हैं।
अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए 500 से 560 अंक को सुरक्षित अंक माना जा सकता है। यह स्कोर उन्हें राज्य और केंद्रीय दोनों कोटा में अच्छे विकल्प प्रदान कर सकता है। आरक्षित श्रेणी के विकलांग छात्रों के लिए 470 से 550 अंक पर्याप्त हो सकते हैं। यह अनुमान राज्यवार सीट उपलब्धता और काउंसलिंग राउंड की संख्या के आधार पर भिन्न हो सकता है।
कट ऑफ को प्रभावित करने वाले कारक
नीट कट ऑफ का निर्धारण कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करता है। प्रश्नपत्र की कठिनाई स्तर सबसे प्रमुख कारक है जो इस वर्ष कट ऑफ को कम करने में योगदान देगा। परीक्षा में सम्मिलित छात्रों की कुल संख्या भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक छात्र मतलब अधिक प्रतिस्पर्धा। सरकारी मेडिकल सीटों की कुल उपलब्धता भी कट ऑफ निर्धारण में अहम भूमिका निभाती है।
आरक्षण नीति और राज्य कोटे का प्रभाव भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग आरक्षण व्यवस्था है। कुछ राज्यों में स्थानीय निवासी कोटा भी है जो उस राज्य के छात्रों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है। नीट स्कोर के साथ-साथ नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया भी कट ऑफ को प्रभावित करती है। इन सभी कारकों का संयुक्त प्रभाव अंतिम कट ऑफ अंक तय करता है।
परिणाम देखने और रैंक जांचने की प्रक्रिया
नीट यूजी 2025 का परिणाम जून के मध्य तक आने की संभावना है। परिणाम घोषित होने के बाद छात्र आधिकारिक वेबसाइट neet.nta.nic.in पर जाकर अपना स्कोर कार्ड देख सकेंगे। स्कोर कार्ड में छात्र का कुल स्कोर, विषयवार अंक, परसेंटाइल और ऑल इंडिया रैंक दी होगी। छात्रों को अपना एप्लिकेशन नंबर और जन्म तिथि का उपयोग करके लॉगिन करना होगा।
स्कोर कार्ड डाउनलोड करने के बाद छात्रों को अपनी रैंक और स्कोर की तुलना कट ऑफ ट्रेंड से करनी चाहिए। इससे उन्हें अपनी संभावनाओं का बेहतर अनुमान लग सकेगा। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे राज्य काउंसलिंग के लिए समय पर पंजीकरण करें क्योंकि कई बार राज्य कोटा में बेहतर अवसर मिलते हैं। परिणाम के साथ ही विभिन्न रैंक प्रेडिक्टर टूल्स भी उपलब्ध हो जाते हैं जो छात्रों को संभावित कॉलेज विकल्पों का अनुमान लगाने में मदद करते हैं।
राज्य कोटा और काउंसलिंग रणनीति
प्रत्येक राज्य का अपना कट ऑफ होता है जो राष्ट्रीय औसत से काफी भिन्न हो सकता है। राज्य कोटा के तहत आवेदन करते समय उस राज्य की सीट उपलब्धता, आरक्षण नीति और स्थानीय नियमों को समझना आवश्यक है। कुछ राज्यों में स्थानीय निवासी को प्राथमिकता दी जाती है जो बाहरी छात्रों के लिए चुनौती हो सकती है। राज्य काउंसलिंग में कई राउंड होते हैं और प्रत्येक राउंड में कट ऑफ में बदलाव देखने को मिलता है।
छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे केवल ऑल इंडिया कोटा पर निर्भर न रहें बल्कि राज्य कोटा के विकल्पों को भी गंभीरता से देखें। कई बार राज्य कोटा में बेहतर कॉलेज मिल जाते हैं। काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान अपडेट रहना और सभी दस्तावेज तैयार रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। छात्रों को चाहिए कि वे अपनी पसंद की सूची बनाते समय यथार्थवादी रहें और बैकअप विकल्प भी तैयार रखें।
Disclaimer
इस लेख में दिए गए कट ऑफ अंक और रैंक के अनुमान विभिन्न स्रोतों और पिछले वर्षों के रुझान पर आधारित हैं। वास्तविक कट ऑफ इससे भिन्न हो सकता है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे केवल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की आधिकारिक घोषणा को ही प्रामाणिक माने। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले आधिकारिक जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।